Did You Know?( क्या तुम जानते हो ) ||जम्मू कश्मीर का इतिहास|| #jammukashmir
||जम्मू कश्मीर का इतिहास||
जम्मू कश्मीर और लद्दाक तीनो अलग अलग छेत्र है जब भारत आजाद हुआ तो भारत के एक बहुत बड़ा भूभाग धर्म के नाम पर अलग हो गया जिसका नाम पाकिस्तान रखा गया|
पाकिस्तान के उस समय दो हिस्से थे पूर्व पाकिस्तान और पस्चमी पाकिस्तान पूर्वी पाकिस्तान साल 1971 में अलग होकर बांग्लादेश बना आप ये जानते है की विभाजन के समय कश्मीर पर पाकिस्तानी क़बाइलो ने आक्रमण कर दिया|
और जम्मू कश्मीर के एक भूभाग पर कब्ज़ा कर लिया इस आक्रमण के दौरान भारतीय सेना कब्ज़ा मुक्ति का अभियान चला रही थी लेकिन बिच में ही तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू द्वारा युद्ध बिराम के एक तरफ़ा घोसणा के चलते नियंत्रण रेखा का जन्म हुआ तभी से जम्मू कश्मीर एक बिबादिक छेत्र बन गया |
कश्मीर का प्राचीन इतिहास:-
कश्यप ऋषि के नाम पर ही कश्यप सागर यानि कास्पियन सागर और कश्मीर का प्राचीन नाम आया था|
कास्पियन सागर से लेकर कश्मीर तक ऋषि कश्यप के कुल के लोगो का राज फैला हुआ था कस्यप ऋषि का इतिहास प्राचीन माना जाता है |
क्योकि हाली में हड़प्पा कालीन अवशेषो में कुषाण और गुप्त कालीन की कला कीर्तियों से जम्मू के प्राचीन इतिहास का पता चलता है की कश्मीर की जमीन पर पहले ही मानवता के पैर पढ़ चुके थे |
कश्मीर का पहला शासक :-
कश्यप ऋषि कश्मीर के पहले शासक थे उन्होंने कश्मीर को अपने सपनो का राज्य बनाया था|
राजतरंगिणी और नीलम पुराण की कथा के अनुसार कश्मीर की घाटी कभी बहुत बढ़ी झील हुआ करती थी भूगर्व शास्तिर्यो के अनुसार पहाड़ो के धसने से झील का पानी बाहर निकल गया और इस तरह से कश्मीर में रहने लायक जगह बानी|
राजतरंगिणी गिरंथ में आज से 3200 साल पहले के कश्मीर के प्राचीन राजबंसो और राजाओ को प्रमाणित दस्तवेज है|
उसके बाद ईसा पूर्व तीसरी सत्ताब्दी में महान सम्राट अशोक ने कश्मीर एम् बोध गर्म का प्रचार किया था बाद में यहाँ कनिष्ठ का अधिकार रहा और छटवीं सातवीं के आरम्भ में कश्मीर पर बुनो का अधिकार हो गया |
और सन 530 में कश्मीर घाटी एक शोतंत्र राज्य रहा इसके बाद इस पर उज्जैन साम्राज्य के राजाओ का अधिकार रहा और एक समय ऐसा था जब उज्जैन अखण्ड भारत के राजधानी हुआ करता था |
उसके बाद बिक्रम रजबंश के पतन के बाद कश्मीर पर अस्धनिये शासक राज करने लगे वह हिन्दू और बोध संस्कीरतियो का मिश्रित रूप बिकसित हुआ|
कश्मीर में सातबी शताब्दी का अपनी तरह का सेब दर्शन बिकसित हुआ था जिन सेव राजाओ में सबसे पहला और प्रमुख नाम मिहिरकुल का है जो गुड़ वंस का था |
गुड़ वंश के बाद गोनंदा दुतिया और करकोटा डायनेस्टी का शासन हुआ जिसके राजा ललिता दुतिये मुक्तपीरको थे जिन्हे सबसे महान राजाओ में शामिल किया जाता है |
कश्मीर के हिन्दू राजाओ में ललिता दतिया जो सन (697 से 738) के बीच सबसे प्रशिद्ध राजा हुए क्योकि उस समय कश्मीर राज्य पूर्व में बंगाल तक दछिण में कोंकण तथा पश्चिम में तुर्किस्तान और उत्तर पूर्व में तिब्बत तक फैला था |
उसके बाद कश्मीर में सन 1855 में उत्पला वंस के अनंति वर्मन सत्ता में आय जिनका शासनकाल कश्मीर के सुख और समृद्धि का काल था उसके 28 साल के शासनकाल में मंदिरो का निर्माण बढे पैमाने पर हुआ|
इसी के साथ कश्मीर में शाहित्तिये कारो और संस्कृत दासरियो की भी बढे पैमाने पर लम्बी परम्परा भी शुरू हु जिसमे 7 वी शदी में भीम भट, दामोदर गुप्त 8 वी शदी में क्षीर स्वामी, रत्नाकर, वल्लभ देव 9 वी शदी में मंतत, क्षायेबदरा, सोमदेव से लेकर 10 वी सदी के मिहान,जयद्रथ और 11 वी सदी के कल्हण जैसे संस्कृत के बिद्वान कवियों और भाषा करो की एक लम्बी परम्परा रही|
लेकिन अवन्तिवर्मन के मित्यु के बाद हिंदू राजाओ के पतन का काल शुरू हो गया था क्योकि राजा सहदेव के समय मंगोल शासक दुल्चा ने अचानक कश्मीर पर आक्रमण किया दुल्चा ने नगरों और गाओ को नस्ट कर दिया और हजारो हिन्दुओ को मर दिया |
और इस अवसर का फयदा उठाकर तिब्बत से आया एक बौद्ध रेचन ने इस्लाम क़ुबूल करके अपने मित्र तथा सहदेव के सेनापति रामचद्र के बेटी पोता रानी के सहयोग से कश्मीर के गद्दी पर अधिकार कर लिया|
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें